बहुत दिनों से सोच रहा था कि आप लोगो से बात की जाए, किंतु कैसे करते? ना ही आप लोग मुझे जानते हो और ना ही मैं आप लोगो को। फिर भी मन में सोचा तो था कि आप सभी से बात तो करनी है इसलिए इस आर्टिकल का सहारा ले रहा हूं ताकि आप सभी तक मेरी भावनाएं पहुंच सके। मैं अपने आस पास बहुत से विद्यार्थियों को दिन प्रतिदिन देखता हूं तो यही प्रतीत होता है कि आज का युवा अपना मार्ग भटक रहा है। इसलिए कुछ पंक्तियां याद आ रही है कि –
भ्रमित करेंगे राहों में अनेकों मायाजाल
तुम बस अर्जुन की तरह अडिग बने रहना ।
आज के समय में बहुत से लोगो ने विद्या को व्यापार बना लिया है और यह एक ऐसा व्यापार है जिसमे व्यापारी का तो मुनाफा निश्चित है किंतु ग्राहक (विद्यार्थी) को उतना फायदा नही हो रहा है जितना कि प्राचीन काल में गुरुकुल से हुआ करता था। आधुनिकता की इस भीड़ में हम कुछ ऐसा खोए है कि अपनी प्राचीन सभ्यता, शिक्षा और संस्कृति को समाप्त करने में ही लगे हुए है।
विद्यार्थी जीवन
प्रत्येक व्यक्ति द्वारा अपने छात्र जीवन में स्कूल में बिताए गए पल, उसके जीवन के यादगार पलो में से एक होता है। यह किसी भी व्यक्ति के जीवन का वह आनंदमय समय होता है, जिसकी कल्पना वह सम्पूर्ण जीवन भर करता है। एक विद्यार्थी का ह्वदय सपनो से भरा होता है और उसकी बुद्धि विचारो से।
जो लक्ष्य पर ध्यान रखते हैं अपने इरादों में दृढ़ रहते हैं,अक्सर मंजिल वही पाते हैं । हमारे भविष्य के सपने, इच्छाएं एवम् आशाएं इसी विद्यार्थी जीवन पर निर्भर रहती है। विद्यार्थी जीवन में उठाए गए सही कदम, पूरे जीवन को सार्थक बना देते है। विद्यार्थी जीवन, भविष्य को रचने वाला काल है। इस समय सभी विद्यार्थियों का मन मिट्टी के समान मुलायम होता है, इसलिए शिक्षक रूपी कुम्हार अपने हाथो से सभी विद्यार्थियों के चरित्र को बुनते है। जैसे एक बार मिट्टी का बर्तन बन जाए तो फिर उसका आकार नही बदला जा सकता ठीक उसी प्रकार एक बार चरित्र निर्माण के बाद उस चरित्र को सुधारा नही जा सकता। यदि विद्यार्थी जीवन में अच्छी शिक्षा प्राप्त कर ली और उसका सदुपयोग किया तो भविष्य निश्चित ही उज्ज्वल है।
I Can Do Anything इस सोच के साथ आज का युवा यदि आगे कदम बढ़ाएं तो सफलता निश्चित ही प्राप्त होगी।
सूर्य बन कर चमकना चाहते हो अंधेरे से मत घबराना,
क्योंकि रात के बाद ही सूरज की कीमत का पता चलता है।
जिस तरह मिट्टी पेड़ की जड़ को पकड़कर रखती है उसी तरह विद्यार्थियों को भी अपनी सफलता के लिए इंद्रियों को काबू में रखना पड़ता है। दूसरी ओर यदि विद्यार्थी, अपने विद्यार्थी जीवन में गंभीर नहीं है तो वह अपने लक्ष्य को कभी भी प्राप्त नहीं कर सकता। इसलिए छात्रों को बहुत गंभीरता पूर्वक अपने कदम उठाना चाहिए और इस दौरान नई चीजों को सीखते रहना चाहिए। अपने छोटे-छोटे कदमों से ही हम अपने बड़े – बड़े सपनो को पूरा कर सकते हैं इसलिए चलते रहिए । छात्र किसी राष्ट्र के भावी नेता होते हैं, राष्ट्र की समृद्धि उसके छात्रों पर निर्भर करती है। उचित शिक्षा प्राप्त करना, अच्छा चरित्र बनाए रखना और सम्मानजनक सामाजिक जीवन जीना हम सबकी जिम्मेदारी है।
विद्यार्थी जीवन के प्रमुख कारक
- अनुशासन
- समय का महत्व
- परिश्रम
- आत्मविश्वास
- दृढ़ निश्चय
- लक्ष्य निर्धारण
- प्रतिस्पर्धा
- सभी का सम्मान
- विनम्रता
माता – पिता, गुरु और छात्र
हमारे भारतीय संस्कृति में माता-पिता व शिक्षक तीनों को बालक के जीवन निर्माण में महत्वपूर्ण माना है। माता – पिता बालक का पालन-पोषण एवम् संवर्धन करते हैं तो शिक्षक उसके बौद्धिक, आत्मिक और चारित्रिक गुणों का विकास करते हैं। छात्र को जीवन और संसार की शिक्षा देते हैं, इसलिए हमारे जीवन में शिक्षक का स्थान कोई और नहीं ले सकता। गुरु की भूमिका शिष्य हित में सर्वोपरि है और यह शाश्वत सत्य है। गुरु को सदैव स्मरण रहना चाहिए कि उसे अपने विचार, ज्ञान, व्यक्तित्व व आचरण की श्रेष्ठता सदैव बनाए रखनी है क्योंकि इसका प्रभाव शिष्य पर साक्षात पड़ता है। शिष्य को भी गुरु की शिक्षा, नैतिक मूल्यों व कर्तव्यों को आत्मसात करना चाहिए। उनके द्वारा बताए गए सुमार्ग को श्रद्धा पूर्वक शिरोधार्य करना चाहिए। अतः सदैव अपने माता – पिता एवम् गुरुजनों का सम्मान करना चाहिए और अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।