मध्यप्रदेश का पैडमेन : 6720 किलोमीटर की साइकिल यात्रा कर कमाया नाम, फ्री सेनेटरी पैड्स उपलब्ध करवाने की थी यात्रा, मजदूरों पर भी लिख रहे किताब, सुरेंद्र बामने

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मध्यप्रदेश|नर्मदापुरम

मध्यप्रदेश के पैडमेन के नाम से मशहूर हो चुकें सुरेंद्र बामने द्वारा महिलाओं के लिए चलाई मुहिम ‘मासिक धर्म स्वच्छता अभियान’ के उनके इस प्रयास को सफलता के पंख तब लगे.जब पश्चिम मध्य रेलवे ने उनके इस अभियान और प्रयास को समझा महिलाओं की समस्या को भी जाना इसी के तर्ज पर पश्चिम मध्य रेल जोन ने अपनी ट्रेनो में पायलट प्रोजेक्ट के नाम पर सेनेटरी पैड की मशीन लगाने का फैसला किया है। इसकी शुरुआत भोपाल से हि होगी कई ट्रेनो मे लगेगी सेनेटरी पैड्स की मशीनें

नर्मदापुरम म़े आदिवासी अंचल के छोटे से गांव अमलाई से विश्व स्तरीय सोच लेकर समाज को जगाने यात्रा करनें निकले सुरेंद्र बामने का कैसा रहा सफर आईए जानते है कुछ पहुलओं में

क्या उद्देश्य था साईकिल यात्रा का?

सुरेंद्र बामने द्वारा सम्पूर्ण मध्यप्रदेश की साईकिल यात्रा का उनका प्रमुख मुद्दा महिलाओं हक को दिलाना, मजदूरों के कठिन जीवन को किताब के माध्यम से समाज के सामने प्रस्तुत करना

इस यात्रा के जरिए उन्होंने सरकार से अपील की है कि ‘मासिक धर्म स्वच्छता अभियान’ के तहत महिलाओं को फ्री सेनटरी पैड उपलब्ध कराए जाए

साइकिल यात्रा का ‘असर’

मध्यप्रदेश में अब ट्रेनो मे भी महिला यात्रियों को पीरियड्स के दौरान सेनेटरी पैड्स मिल सकेंगे। यह असर मध्यप्रदेश के ‘पैडमेन सुरेंद्र बामने’ के अथक प्रयासों से हि सम्भव हो पाया है. जिन्होंने अपनी यात्रा के दौरान नारी शक्ति को मजबूत करने के साथ साथ जागरूक भी किया है उनके ‘ मासिक धर्म स्वच्छता अभियान’ ने इतनी बड़ी सफलता हासिल की है।
पश्चिम-मध्य रेल्वे जोन के भोपाल मंडल में यह पहल कि शुरुआत हुई है. इसमे ट्रेन के अंदर मशीनों द्वारा सेनेटरी पैड्स मिलेगे.अभी पायलट प्रोजेक्ट के तहत हर कोच में कांम्पेट मशीनें लगाई जाएगी। अगस्त के अंत तक सारी औपचारिकताए पुरी कर मशीनों को ट्रेन कोचेज मे लगवा दिया जाएगा।यह पैड्स बाजार मुल्य पर प्राप्त हो जाएगे

मध्यप्रदेश के ‘पैडमन’ के नाम से मशहूर–

सुरेंद्र सामने जी द्वारा नर्मदापुरम से शुरू कि यह साइकिल यात्रा जिसमें उन्होंने महिलाओं के मासिक धर्म स्वच्छता अभियान को भी चलाया जिसमें उनकी सरकार से यही अपील है कि सम्पूर्ण मध्यप्रदेश की महिलाओं को फ्री सेनेटरी पैड उपलब्ध कराए, जा सके।
लगभग 6720 किलोमीटर साइकिल से कर चुके है यात्रा, मध्यप्रदेश के सभी जिलों मे जाकर सौपा ज्ञापन नारी शक्ति को जागरूक कर रहे अपने अभियान से

मजदूरों के लिए भी कर रहे साईकिल यात्रा–

असल में बामने जी मजदूरों के वास्तविक जीवनशैली को अपने पुस्तक के माध्यम से समाज के सामने लाना चाहतें है। उन्होंने अपनी यात्रा के दौरान प्रत्येक जिलों मे मजदूर वर्ग से मिलकर उनकी समस्याओं एंव कठिनाइयों का आकलन विश्लेषण करके मजदूर जीवन को समाज के सामने रखेगें

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