हिंडनबर्ग रिसर्च वित्तीय शोध करने वाली कंपनी है, जिसकी स्थापना वर्ष 2017 में की गई थी। इसे कॉर्पोरेट जगत की गतिविधियों के बारे में खुलासा करने के लिए जाना जाता है। हालांकि, अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग की खुद की विश्वसनीयता को लेकर भी कई बार सवाल खड़े होते रहे हैं। अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट पर एक बार फिर सम्पूर्ण देश में बवाल मचा हुआ है। अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग ने नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच पर उन ऑफशोर फंड्स में निवेश करने का आरोप लगाया है, जिनका इस्तेमाल कथित तौर पर अदाणी समूह के शेयरों में तेजी लाने के लिए किया गया था। हालांकि, बुच दंपती ने इन सभी आरोपों को नकारते हुए कहा है कि सभी निवेश की जानकारी का खुलासा नियमों के अनुसार किया गया है।
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद पूरे विपक्ष ने सेबी प्रमुख के इस्तीफे की मांग शुरू कर दी है। वहीं, सेबी प्रमुख और अदाणी समूह ने इस मामले में अपना पक्ष रख दिया है। इसके अलावा, भाजपा ने भी हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं। पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस, विपक्षी गठबंधन के लोग और उन्हें प्रमोट करने वाले टूल किट के लोग भारत को आर्थिक रूप से अस्थिर करने के षड्यंत्र में जुटे हैं।
क्या है हिंडनबर्ग रिसर्च?
हिंडनबर्ग रिसर्च एक वित्तीय शोध करने वाली कंपनी है, जो इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव मार्केट के आंकड़ों का आंतरिक एवम् बाह्य विश्लेषण करती है। इसकी स्थापना वर्ष 2017 में नाथन एंडरसन ने की थी। हिंडनबर्ग रिसर्च हेज फंड का कारोबार भी करती है। इसे कॉर्पोरेट जगत की गतिविधियों के बारे में खुलासा करने के लिए जाना जाता है। इस कंपनी का नाम हिंडनबर्ग आपदा पर आधारित है जो 1937 में हुई थी, जब एक जर्मन यात्री हवाई पोत में आग लग गई थी, जिसमें 35 लोग मारे गए थे।
कंपनी के दावे के अनुसार, फर्म यह पता लगती है कि क्या शेयर मार्केट में कहीं गलत तरीके से पैसों की हेरा-फेरी तो नहीं हो रही है? क्या कोई कंपनी अकाउंट मिसमैनेजमेंट में स्वयं को बड़ा तो नहीं दिखा रही है? क्या कंपनी अपने फायदे के लिए शेयर मार्केट में गलत तरह से दूसरी कंपनियों के शेयर को बेट लगाकर नुकसान तो नहीं पहुंचा रही?
हिंडनबर्ग की हालिया रिपोर्ट में क्या है?
10 अगस्त को हिंडनबर्ग ने सेबी प्रमुख माधबी पूरी बुच एवम् उनके पति धवल बुच और चर्चित अदाणी ग्रुप के संबंध में 46 पन्नों की एक रिपोर्ट जारी की। हिंडनबर्ग रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सेबी की चेयरपर्सन माधवी पूरी बुच और उनके पति धबल बुच ने बरमूडा और मॉरीशस में अस्पष्ट विदेशी कोषों में अघोषित निवेश किया था। फर्म ने कहा कि ये वही कोष हैं जिनका कथित तौर पर विनोद अदाणी ने पैसों की हेराफेरी करने और समूह की कंपनियों के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया था। विनोद अदाणी, अदाणी समूह के चेयरपर्सन गौतम अदाणी के बड़े भाई हैं।
अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग ने आगे कहा कि सेबी को अदाणी मामले से संबंधित फंडों की जांच करने का जिम्मा सौंपा गया था, जिसमें माधवी पुरी बुच द्वारा भी निवेश किया गया था। यही पूरी जानकारी हमारी रिपोर्ट में उजागर की गई है। यह स्पष्ट है कि सेबी प्रमुख और अदाणी ग्रुप के हित एक-दूसरे से जुड़े हुए थे।
बुच दंपती ने आरोपों पर क्या कहा है?
बुच दंपती ने हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों को बेबुनियाद बताया है। बुच दंपती ने 11 अगस्त को जारी एक बयान में कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च के इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारा जीवन और वित्तीय स्थिति एक खुली किताब है। अगर अथॉरिटी किसी डॉक्यूमेंट की मांग करती है तो हम उसे पूरा करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिसके खिलाफ सेबी ने एक्शन लिया और कारण बताओ नोटिस भेजा, वो इसके जवाब में गलत आरोप लगा रहे है।
अदाणी समूह ने रिपोर्ट पर क्या प्रतिक्रिया दी है?
अदाणी समूह ने भी इस रिपोर्ट पर 11 अगस्त को बयान जारी किया। उसका कहना है कि हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए नए आरोप दुर्भावनापूर्ण, शरारती और बहकाने के मकसद से लगाए गए हैं। अदाणी समूह ने कहा, हमारे खिलाफ लगाए गए आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हैं। यह आरोप गलत दावों की पुनरावृत्ति है, जिनकी पूरी तरह से जांच की गई और निराधार साबित हुए। इस साल जनवरी में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पहले ही इन आरोपों को खारिज कर दिया गया है।
हिंडनबर्ग समूह की विश्वस्नीयता पर क्यों सवाल किए जा रहे हैं?
हिंडनबर्ग की खुद की विश्वसनीयता को लेकर भी कई बार सवाल खड़े होते रहे हैं। फोर्ब्स मैगजीन के मुताबिक, अमेरिकी न्याय विभाग ने दर्जनों बड़े शॉर्ट सेलिंग निवेश और शोध फर्मों की जांच शुरू की थी। इनमें मेल्विन कैपिटल और संस्थापक गेबे प्लॉटकिन, रिसर्चर नैट एंडरसन और हिंडनबर्ग रिसर्च सोफोस कैपिटल मैनेजमेंट और जिम कारुथर्स भी शामिल हैं। विभाग ने 2021 के अंत में लगभग 30 शॉर्ट-सेलिंग फर्मों के साथ-साथ उनसे जुड़े तीन दर्जन व्यक्तियों के बारे में जानकारी जुटाई थी। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, संघीय अभियोजक ने इस बात की जांच शुरू की थी कि क्या शॉर्ट-सेलर्स ने समय से पहले नुकसान पहुंचाने वाली शोध रिपोर्ट साझा करके और अवैध व्यापार रणनीति में शामिल होकर शेयर की कीमतों को कम करने की साजिश रची थी।