Waqf board वक्फ की संपत्ति का संचालन करने के लिए देश भर में Waqf Board बने हैं। देश भर में करीब 30 स्थापित संगठन हैं जो उस राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में वक्फ संपत्तियों का सुचारू रूप से प्रबंधन करते हैं। सभी वक्फ बोर्ड, वक्फ अधिनियम 1995 के तहत काम करते हैं। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने 8 अगस्त को लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक पेश किया। संसद में 8 अगस्त को वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया गया। कांग्रेस , टीएमसी और सपा समेत कई विपक्षी दलों ने इस विधेयक का विरोध किया है ,वहीं केन्द्र सरकार का कहना है कि इस विधेयक के जरिए वक्फ बोर्ड को मिली असीमित शक्तियों पर अंकुश लगाकर बेहतर और पारदर्शी तरीके से प्रबंधन किया जाएगा। सरकार ने इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने की सिफारिश की है।
क्या होता है Waqf board
वक्फ कोई भी चल या अचल संपत्ति हो सकती है, जिसे इस्लाम को मानने वाला कोई भी व्यक्ति धार्मिक कार्यों के लिए दान कर सकता है। दान की हुई संपत्ति का कोई भी मालिक नहीं होता है, दान की हुई इस संपत्ति का मालिक अल्लाह को माना जाता है। लेकिन, उसे संचालित करने के लिए कुछ संस्थान बनाए गए है। वक्फ करने के अलग-अलग तरीके हो सकते हैं। जैसे- अगर किसी व्यक्ति के पास एक से अधिक घर हैं और वह उनमें से एक को वक्फ करना चाहता है तो वह अपनी वसीयत में एक घर को वक्फ के लिए दान करने के बारे में लिख सकता है। ऐसे में उस घर को संबंधित व्यक्ति की मौत के बाद उसका परिवार उपयोग में नहीं ला सकता है। उसे वक्फ की संपत्ति का संचालन करने वाली संस्था आगे सामाजिक कार्य में इस्तेमाल करती है। इसी तरह पैसों से लेकर घर, मकान, जायदाद, जमीन, कैश तक वक्फ किया जा सकता है। कोई भी मुस्लिम व्यक्ति जो 18 साल से अधिक उम्र का है वह अपने नाम की किसी भी संपत्ति को वक्फ कर सकता है। वक्फ की गई संपत्ति पर उसका परिवार या कोई दूसरा शख्स दावा नहीं कर सकता है।
वक्फ बोर्ड
Waqf board की संपत्ति का संचालन करने के लिए वक्फ बोर्ड होते हैं। ये स्थानीय और राज्य स्तर पर बने होते हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में अलग-अलग शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड भी हैं। राज्य स्तर पर बने वक्फ बोर्ड इन वक्फ की संपत्ति का ध्यान रखते हैं। संपत्तियों के रखरखाव, उनसे आने वाली आय आदि का ध्यान रखा जाता है। केंद्रीय स्तर पर सेंट्रल वक्फ काउंसिल राज्यों के Waqf board को दिशानिर्देश देने का काम करती है। देशभर में बने कब्रिस्तान वक्फ भूमि का हिस्सा होते हैं। देश भर में करीब 30 स्थापित संगठन हैं जो उस राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करते हैं। इन्हीं संगठनों को वक्फ बोर्ड के नाम से जाना जाता है।
सभी वक्फ बोर्ड वक्फ अधिनियम 1995 के तहत काम करते हैं। भारतीय वक्फ परिसंपत्ति प्रबंधन प्रणाली के अनुसार, वक्फ बोर्ड मुसलमानों के धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक जीवन से जुड़े हुए हैं। वे न केवल मस्जिदों, दरगाहों, कब्रिस्तानों आदि की मदद कर रहे हैं, बल्कि उनमें से कई स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, डिस्पेंसरी और मुसाफिरखानों की भी सहायता करते हैं, जो सामाजिक कल्याण के लिए बने हैं। देश की आजादी के बाद 1954 में वक्फ की संपत्ति और उसके रखरखाव के लिए वक्फ एक्ट -1954 बना था। 1995 में इसमें कुछ बदलाव किए गए। इसके बाद 2013 में इस एक्ट में कुछ और संशोधन किए गए।
वक्फ बोर्डों के पास कितनी संपत्ति है?
भारतीय वक्फ परिसंपत्ति प्रबंधन प्रणाली (वामसी) के अनुसार, देश में कुल कुल 3,56,047 वक्फ संपदा हैं। इनमें अचल संपत्तियों की कुल संख्या 8,72,324 और चल संपत्तियों की कुल संख्या 16,713 है। डिजिटल रिकॉर्ड्स की संख्या 3,29,995 है।
इस विधेयक से क्या बदलेगा?
वक्फ अधिनियम 1995 की धारा 40 को हटाने का प्रस्ताव है। इसी धारा के तहत बोर्ड को शक्तियां थीं कि वह किसी संपत्ति के वक्फ संपत्ति होने का निर्णय ले सके। विधेयक में एक केंद्रीय पोर्टल और डेटाबेस के जरिए वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण का प्रस्ताव है। नए अधिनियम के लागू होने के छह महीने के भीतर केंद्रीय पोर्टल पर संपत्तियों का विवरण दर्ज करना होगा। इस विधेयक में नई धाराएं 3ए, 3बी और 3सी शामिल करने का प्रावधान है। ये धाराएं वक्फ की कुछ शर्तों, पोर्टल और डेटाबेस पर वक्फ का विवरण दाखिल करने और वक्फ की गलत घोषणा से जुड़ी हैं। विधेयक में वक्फ की गलत घोषणा को रोकने का प्रावधान है। अब किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज करने से पहले सभी संबंधितों को उचित सूचना देना होगा।
बिल पर सरकार का क्या कहना है?
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने सदन में विधेयक पर चर्चा करते हुए कहा कि यह बिल सच्चर कमेटी की सिफारिशों के आधार पर ही लाया गया है। इसी में कहा गया है कि राज्य और केंद्रीय वक्फ बोर्ड में दो महिलाएं होनी चाहिए। इसी में की गई सिफारिशों को लागू करने के लिए हम यह बिल लेकर आए हैं। इस बिल में जो भी प्रावधान हैं, उसमें संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं किया गया है। रिजिजू ने कहा कि पहले भी कई बदलाव हो चुके हैं। 1995 में जो संसोधन किए गए थे, उन्हें 2013 में लाए गए संसोधनों के जरिए निष्क्रिय कर दिया गया, इसलिए यह बिल लाना पड़ा है। 1995 का वक्फ संसोधन विधेयक पूरी तरह से निष्प्रभावी रहा है, इसलिए यह संसोधन करना पड़ रहा है।
विपक्ष क्यों इसका विरोध कर रहा है?
लोकसभा में विपक्ष ने मांग उठाई है कि वक्फ संशोधन विधेयक को लोकसभा में पेश करने के बाद इसे जांच के लिए संसद की स्थायी समिति को भेजा जाए। कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि सरकार को बिल लाने से पहले मुस्लिम संगठनों से बात करनी चाहिए थी। अगर सरकार की नीयत ठीक है तो पहले बिल पर चर्चा करनी चाहिए।