सुपरबग कर सकता हैं हमला: भारतीय मुल की सुनिता विलियम्स गई थी ISS पर एक हफ्ते के लिए, देढ़ महिनों से फंसी, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में, बैक्टीरिया का डर

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अंतरिक्ष|वैज्ञानिक

सुपरबग बैक्टीरिया की हो रहीं चर्चा इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में यात्रियों पर खतरा:

सुपरबग नामक बैक्टीरिया का डर, भारतीय मुल की अमेरिकी आंतरिक्ष वैज्ञानिक सुनीता विलियम्स जो नासा के लिए काम करतीं है एक मिशन के तहत इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन मौजूद है, वह तकरीबन देढ़ महिने से स्टेशन पर फंसी हुई है । (सुपरबग) सुनीता 5 जून को अपने साथी वैज्ञानिक बैरी विल्मोर के साथ बोइंग स्टारलाइनर नामक अंतरिक्ष यान के साथ धरती से उड़ान भरकर 7 जून को आकाश मंडल स्टेशन पर पहुंची गई थी। उन्हें मिशन खत्म कर के एक सप्ताह के भीतर वापस पृथ्वी पर आना था, परन्तु देढ़ महिने बीत जाने के बाद भी वह अभी तक वापस नहीं आ सकीं है। सुपरबग पर चर्चा

यह घटना किसी भी साइंस-फिक्शन मूवी से कम नहीं लग रा है, लेकिन उतना ही सत्य भी है नासा द्वारा भेजी गई अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स जिस अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में विगत डेढ़ महीने से ज्यादा समय से फंसी हुई हैं, वहां एक बहुत खतरा सुपरबग के रूप में मौजूद है। जिसके बारे में कुछ समय पहले ही वैज्ञानिकों ने रिसर्च से पता लगाया है। आईआईटी मद्रास एंव अमेरीकी स्पेस एजेंसी नासा की जेट प्रपल्शन प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों द्वारा International space station में एक ऐसे बैक्टीरिया स्ट्रेन को खोजा है, जो कई बार स्पेस में म्यूटेशन करने के बाद बहुत ताकतवर बन चुका है। अंतरिक्ष स्टेशन पर इसकी मौजूदगी होने के चलते इसे स्पेसबग कहा जा रहा है। लेकिन इसका वैज्ञानिको द्वारा नाम एंटरोबैक्टर बुगंडेंसिस रखा है।

नासा वैज्ञानिकों की चिंता यह है कि पृथ्वी से एकदम अलग बाहरी आंतरिक्ष के असाधारण वातावरण में म्यूटेशन करने के चलते यह पृथ्वी पर मौजूद अपने आनुवांशिक समकक्षों से इतना अलग हो गया है कि जो दवाईया यात्री उपयोग कर रहे हैं उसके प्रति लड़ने के लिए प्रतिरोध क्षमता को विकसित भी कर सकता है। सीधे शब्दों में कहा जाए तो दवाओं का कोई असर ना होने की संभावना के चलते यह स्पेस स्टेशन म़े मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों के लिए एक बड़ा गंभीर खतरा बना हुआ है। वैज्ञानिकों द्वारा किए अध्ययन में यह पाया है कि हमारे वायुमंडल के बाहर इस बग ने जो अनुकूलन वातावरण हासिल कर लिया है, वो पृथ्वी पर मौजूद इसकी प्रजातियों में पाए जाने वाले अनुकूलन लक्षण से बहुत अलग है। यह इसकी गतिविधियां इसको सुपरबग की श्रेणी में लाकर खड़ा करतें हैं।

यह म्यूटेशन से गुजर रहा सुपरबग
ISS पर मौजूद यह स्पेसबग वहां मौजूद अन्य सूक्ष्मजीवों से बेहद अलग क्रिया प्रतिक्रिया कर रहा है। इसे अंतरिक्ष यात्रियों के भविष्य स्वास्थ्य के लिए एक खतरे के रूप में भी देखा गया है, खास तौर पर यात्रियों के सांस लेने की क्रिया पर यह गंभीर असर डाल सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अंतरिक्ष मे मौजूद सूक्ष्मजीवों को जीनोमिक म्यूटेशन से गुजरने के अलावा कोई अन्य विकल्प मौजूद नहीं है। अगर वे ऐसा नहीं कर पाने मे सम्भव नहीं हैं तो अंततः वह नष्ट हो जाएंगे। लेकिन यह म्यूटेशन वहां स्पेस स्टेशन में मौजूद अ
यात्रियों के लिए खतरे की घंटी के समान है।

कितना खतरनाक हो सकता है यात्रियों के लिए
चिंता का विषय यह है कि हमारे पृथ्वी के वायुमंडल की अपेक्षा अंतरिक्ष यात्री स्पेस स्टेशन म़े एक बेहद ही अलग वातावरण में जीवन एंव रिसर्च करतें हैं। इसके चलते उनके शरीर का प्राकृतिक प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर हो जाता है। इस अवस्था में यह सुपरबग अंतरिक्ष यात्रियों पर हमला कर सकता है, जो उन्हें बीमार एंव कमजोर कर सकता है।
आंतरिक्ष में मेडिकल सुविधाओं तक सीमित व्ववस्था होने से इस प्रकार की कठिन समस्या को और भी बढ़ा देता है। इस बैक्टीरिया की मौजूदगी इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर जीवन जी रहें अंतरिक्ष यात्रियों के वर्तमान भविष्य के स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा बनते जा रहा है।

ऐसे सुपरबग जैसे बैक्टीरिया का इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जैसे बहु प्रतिष्ठित आधुनिकता के प्रतीक में ऐसी घटना पर वैज्ञानिकों के सुरक्षा एंव मानव जीवन पर गहरा प्रभाव डालते है।

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